EPFO ने बदले 3 बड़े नियम – PF क्लेम और वेरिफिकेशन पर पड़ेगा असर

EPFO ने बदले 3 बड़े नियम – PF क्लेम और वेरिफिकेशन पर पड़ेगा असर
EPFO ने बदले 3 बड़े नियम – PF क्लेम और वेरिफिकेशन पर पड़ेगा असर

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने हाल ही में अपने नियमों में कुछ बड़े बदलाव किए हैं, जिनका सीधा असर करोड़ों खाताधारकों और नियोक्ताओं पर पड़ेगा। इन बदलावों का उद्देश्य प्रक्रियाओं को अधिक सरल, तेज और डिजिटल बनाना है ताकि कर्मचारियों को सुविधाजनक सेवाएं मिल सकें और नियोक्ताओं पर भी अनावश्यक बोझ न पड़े।

फेस वेरिफिकेशन से मिलेगा फायदा

अब ईपीएफओ सदस्य अपने यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) और अन्य सेवाओं का लाभ आधार आधारित फेस वेरिफिकेशन के जरिए उठा सकते हैं। नए अपडेट के तहत कर्मचारी सीधे उमंग ऐप की मदद से आधार फेस ऑथेंटिकेशन टेक्नोलॉजी (FAT) का उपयोग करके यूएएन बना और सक्रिय कर सकते हैं।

  • नए कर्मचारी का यूएएन बनाने के लिए नियोक्ता भी अब उमंग ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • जिन खाताधारकों के पास पहले से यूएएन है लेकिन वह अभी तक सक्रिय नहीं हुआ है, वे भी आसानी से इस ऐप के जरिए इसे सक्रिय कर सकते हैं।

यह सुविधा उन लोगों के लिए खासतौर पर उपयोगी साबित होगी, जिन्हें अब तक फिजिकल डॉक्यूमेंट्स या मैनुअल वेरिफिकेशन पर निर्भर रहना पड़ता था।

ऑनलाइन क्लेम प्रोसेस हुआ आसान

पीएफ निकासी के ऑनलाइन क्लेम प्रोसेस में भी बड़े बदलाव किए गए हैं। अब किसी भी सदस्य को आवेदन करते समय कैंसिल चेक या पासबुक की स्कैन कॉपी अपलोड करने की बाध्यता नहीं रहेगी।

  • पहले सदस्यों को बैंक अकाउंट विवरण साबित करने के लिए इन दस्तावेजों की कॉपी देनी पड़ती थी।
  • इसके साथ ही नियोक्ताओं द्वारा बैंक खाते की डिटेल्स की पुष्टि करवाना भी अनिवार्य था।

इस नियम को हटाने से कर्मचारियों का ऑनलाइन क्लेम करना बेहद आसान और तेज हो जाएगा।

नियोक्ताओं पर कम बोझ

अब कर्मचारियों के बैंक खाते को अनुमोदित करने में नियोक्ताओं की भूमिका समाप्त कर दी गई है। यानी सदस्य का अकाउंट विवरण सीधे आधार और बैंकिंग सिस्टम से सत्यापित होगा। इससे कर्मचारियों को क्लेम प्रक्रिया में नियोक्ता पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और कंपनियों को अनावश्यक पेपरवर्क से राहत मिलेगी।

इन तीन बड़े बदलावों से कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों के लिए प्रक्रिया और सुगम हो गई है। कर्मचारियों को क्लेम और वेरिफिकेशन सेवाओं में पारदर्शिता और गति मिलेगी, जबकि नियोक्ताओं को प्रशासनिक झंझटों से मुक्ति मिल जाएगी।

Leave a Comment